Menu
blogid : 2606 postid : 1331747

महाभारत के अख्यानों ने जुड़ा है किशनगंज

sanjay
sanjay
  • 39 Posts
  • 3 Comments

किशनगंज पहले आलमगंज के नाम से मशहूर था। इसका एक नाम कसाबा कुतुबगंज आज भी जमीन के दस्तावेजों में दर्ज है। गरीबों का दार्जीलिंग और बिहार का चेरापूंजी कहा जाने वाला किशनगंज महाभारत के कई आख्यानों से जुड़ा है। बौद्धकाल में भी इस स्थान का विशेष महत्व था। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इतिहासकारों के अनुसार किशनगंज जिले का संबंध महाभारतकाल,बौद्धकाल और पालकाल से रहा है। सूर्यवंशियों का शासन होने के कारण इस क्षेत्र को सूर्यापुर भी कहा जाता है। यहां की भाषा को सूर्यापुरी भी कहा जाता है। किशनगंज में वर्ष 1883 से खगड़ा मेला लगता है। एक समय में यह सोनापुर से भी बड़ा पशुमेला था। इस मेले में दूसरे देश और प्रदेश के लोग भी आते थे। इसके अतिरिक्त ओदराघाट काली मंदिर,बाबा कमलीशाह की दरहगाह भी है। जहां दोनों संप्रदायों के लोग चादरपोशी करते है। ठाकुुरगंज में हरगौरी मंदिर के स्थापना रवीन्द्र नाथ टैगोर के पूर्वजों ने करवाया था। आज यह क्षेत्र टी स्टेट के रूप में विख्यात है। इतिहास को देखने से लगता है कि किशनगंज को 1845 में अनुमंडल का दर्जा मिला। अनुमंडल बनने के बाद भी यह क्षेत्र विकास के मामले में उपेक्षित रहा। लगभग डेढ़ सौ वर्षो बाद 14 जनवरी 1990 को किशनगंज को जिले का दर्जा मिला। किशनगंज ने अपने गर्भ में न जाने कितनी स्मृतियों को संजो कर रखा है,यह कहा नहीं जा सकता।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh