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सामाजिक परिवेश के साथ चुनौतियां बदलती रहतीं हैं। इसे जानने और समझाने की आवश्यकता है। देश के वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता की पुस्तक पढऩे के दौरान एक बात समझ में आई कि पत्रकारिता के लिए घर के लोग ही लक्ष्मण रेखा खींच सकते हैं। यह सवाल हैरान करने वाला भले लगता हो, लेकिन सच है। हम पाठकों को कैसे संतुष्ट करें इस बात को लेकर अक्सर हम पत्रकारों के बीच बहस होती है। बदलते दौर में पत्रकारिता का मापदंड भी बदला है। खबरों की लेखनशैली में भी बदलाव आया है। कुछ लोग क्षणिक लाभ के लिए ऐसी खबरें लिख देते हैं जो सामाजिक हित के बदले नुकसानदायक होता है। हाल के दिनों में हिंदी अखबारों और उसमें प्रकाशित खबरों की विश्वसनीयता को लेकर जो सवाल उठने लगे हैं, उसके लिए हमारी बिरादरी ही जिम्मेदार है। ऐसा इसलिए
कह रहा हूं क्योंकि हिंदी पाठकों की संख्या अधिक है। लिहाजा हिंदी अखबारों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। कई शीर्ष के पत्रकार सत्ता के करीब होकर अपने हित को बेहतर तरीके से साधने में सफल रहे। यही कारण है कि ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए मालिकों ने भी प्रबंधन तंत्र को मजबूत किया। पत्रकारों के पास अक्सर बहाना होता है कि उन्हें काम करने की आजादी नहीं है। यह बात बिल्कुल गलत है। किसी मालिक ने कभी किसी खबर को प्रकाशित करने या रोकने का दबाव बनाया हो, यह बात मेरे संज्ञान में आज तक नहीं आया। हर व्यक्ति अपनी इच्छा से पत्रकार बनता है। उसे कोई जबर्दस्ती का
पत्रकार नहीं बनाता। लेकिन कुछ लोग जबरन मन में कुंठा पाले रहते हैं। ऐसे ही लोग झंडे लेकर खड़े हो जाते हैं और कहते हैं कि पत्रकारिता खतरे में पड़ गई। जबकि सच्चाई इससे परे होती है। क्षेत्रीय अस्मिता और क्षेत्रीय सवालों को उजागर कर हम अखबारों को आगे बढ़ा सकते हैं। लेकिन अक्सर ऐसा करने से हम चूक जाते हैं। अखबार को न तो हम राष्ट्रीय स्वरूप दे पाते हैं और न ही क्षेत्रीय। ऐसी स्थिति में पाठक भी दिगभ्रमित होते हैं। यदि हम क्षेत्रीय हित को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय हित की बात करें तो यह बेहतर होगा। यदि आपके पास तथ्य है तो आप किसी की भी आलोचना कर सकते हैं। आलोचना करने से डरना नहीं चाहिए। बस इस बात का ध्यान रखें कि आप पर्वाग्रह से ग्रसित होकर किसी के प्रति अपनी लेखनी का इस्तेमाल नहीं करें। यदि हम इन बातों का ध्यान रखेंगे तो कभी कोई समस्या नहीं होगी। हमें अपने लिए स्वयं लक्ष्मणरेखा खींचनी होगी। यदि दूसरे लोग इस रेखा को खींचेंगे तो घर का स्वरूप बिगड़ सकता है।
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